अगर मैं आपसे एक सवाल करूं कि दुनिया की सबसे कीमती चीज क्या है? तो आप में से कई लोग कहेंगे कि सोना सबसे कीमती है। इस समय भारत में सोना बहुत ऊंचे दामों पर बिक रहा है। 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग ₹103,000 है। सोने की कीमत लगातार बढ़ रही है।
क्या सोने और कच्चे तेल से भी कीमती कुछ है?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ लोग कहेंगे कि कच्चा तेल सबसे कीमती है। आज एक बैरल कच्चे तेल की कीमत $65 है। यह बड़ा कीमती है। लेकिन इस समय दुनिया की सबसे कीमती चीज जो बन गई है, वो कुछ और है। और उसका नाम है सेमीकंडक्टर चिप। जिसे आज प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल डायमंड कहा है — एक हीरे की तरह कहा है।
आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने सेमीकंडक्टर चिप को डिजिटल डायमंड क्यों कहा?
आज आपके लिए इसे सरल भाषा में डिकोड करेंगे। सबसे पहले आपको यह तस्वीर दिखाते हैं, जिसे देखकर आज हर भारतीय को गर्व होगा। आज दिल्ली में आयोजित सेमिकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का पहला मेड इन इंडिया चिप भेंट किया गया और इस मेड इन भारत चिप का नाम है विक्रम। भारत की स्वदेशी क्रांति और टेक्नोलॉजी पर आत्मनिर्भरता के लिए आज का दिन ऐतिहासिक माना जाएगा। इस एडवांस्ड चिप को इसरो के सेमीकंडक्टर लैब में स्वदेशी टेक्नोलॉजी के साथ बनाया गया है।
चिप होता क्या है?
अब पहले आपको बताते हैं कि ये चिप होता क्या है। चिप किसी भी मशीन का दिमाग होता है। यह चिप अलग-अलग कमांड्स को प्रोसेस करके मशीनों को काम करने के योग्य बनाता है। आज चिप के बिना आप कोई भी मशीन एक कदम भी चल नहीं सकती। बिल्कुल काम नहीं कर सकती।
कहाँ-कहाँ इस्तेमाल होती है चिप?
आज मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप तक, स्मार्ट वॉचेस से लेकर आपके स्मार्ट टीवी तक, कार से लेकर रॉकेट तक सब जगह इस चिप का इस्तेमाल किया जाता है। सेमीकंडक्टर चिप्स के बिना ना तो कोई मिसाइल बन सकती है, ना ही कोई फाइटर जेट उड़ सकता है।
कितनी चिप्स लगती हैं मोबाइल और कार में?
एक स्मार्टफोन में औसतन 150 चिप्स लगे होते हैं। एक कार में औसतन 1400 से 1500 चिप्स होते हैं। अगर एक भी चिप इसमें से खराब हो जाए, तो आपका मोबाइल फोन या आपकी कार पूरी तरह से बंद हो सकती है।
AI (Artificial Intelligence) के लिए कितनी ज़रूरी हैं चिप्स?
आज एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दौर है और सेमीकंडक्टर चिप्स ही एआई का दिल हैं। एआई पूरी तरह से इन्हीं पर आश्रित है। आप इन्हें एआई के दिल की धड़कन कह सकते हैं।
क्यों कहा जाने लगा है चिप्स को डिजिटल डायमंड?
कुछ समय पहले तक जैसे कच्चे तेल को ब्लैक गोल्ड कहा जाता था (काला सोना कहा जाता था), वैसे ही आज इन चिप्स को डिजिटल डायमंड कहा जाता है। आपने देखा होगा कहा जाता है कि हीरा सबसे कीमती होता है और हीरा सदा के लिए होता है। इसलिए जिसके पास यह सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने की शक्ति है, वही देश दुनिया में राज करेगा।
भारत में अभी कितनी चिप्स आयात होती हैं?
आज भी हमारे देश में 90 से 95% सेमीकंडक्टर चिप्स बाहर से आयात होते हैं। ऐसे में आज मेड इन भारत चिप बनना अपने देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत ने वर्ष 2023 में 10,843 करोड़ सेमीकंडक्टर चि
प्स का आयात किया था और इसकी कीमत करीब ₹1,71,000 करोड़ थी।
क्यों ज़रूरी है भारत के लिए सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बनना?
इसलिए आज भारत अगर खुद से इन सेमीकंडक्टर चिप्स के मामले में आत्मनिर्भर बनना चाहता है, तो यह भारत की सबसे बड़ी जरूरत है। आज से ही दिल्ली में यह सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई है और इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। यह भारत का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्फ्रेंस है, जिसमें 48 देशों की 350 से ज्यादा कंपनियां शामिल हो रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा इस कॉन्फ्रेंस में?
प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि 21वीं सदी की शक्ति अब एक छोटे से चिप में है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही भारतीय चिप्स दुनिया में एक बहुत बड़ा बदलाव लाएंगे।
प्रधानमंत्री मदी: फ्रेंड्स, सेमीकंडक्टर की दुनिया में एक बात कही जाती है ,ऑल ब्लैक गोल्ड, बट चिप्स आर डिजिटल डायमंड्स। वो दिन दूर नहीं है जब भारत की सबसे छोटी चिप दुनिया के सबसे बड़े चेंज को ड्राइव करेगी। ऑफकोर्स, आवर जर्नी बिगेन लेट, बट नथिंग कैन स्टॉप अस नाउ।
वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया कहेगी — Design in India, Made in India, Trusted by the World।
मेड इन इंडिया चिप विक्रम क्या है?
भारत में पहली बार बने मेड इन इंडिया चिप का पूरा नाम है विक्रम 32-बिट प्रोसेसर। विक्रम नाम भारत के मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। हमारे देश के स्पेस मिशन में विक्रम साराभाई की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।
इस चिप की खासियत क्या है?
इस चिप का इस्तेमाल भारत के स्पेस मिशन में किया जाएगा। यह चिप अंतरिक्ष उड़ान के दौरान बहुत ज्यादा गर्मी या ठंड में भी आसानी से काम कर सकता है। यही इसकी खासियत है।
पहले से भारत ने सेमीकंडक्टर में निवेश क्यों नहीं किया?
दुनिया में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सेमीकंडक्टर चिप्स सबसे ज्यादा आवश्यक हो गए हैं। लेकिन हमारे देश में अब तक सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में बड़े निवेश पर गंभीरता से कभी विचार नहीं किया गया था। इसरो और रक्षा से जुड़े कुछ संस्थान अपनी जरूरत के मुताबिक कुछ सेमीकंडक्टर्स जरूर बना रहे थे, लेकिन ज्यादातर सेमीकंडक्टर चिप्स बाहर से ही आयात करने पड़ते थे।
मोदी जी सेमीकंडक्टर मिशन को लेकर कितने गंभीर हैं?
पहली बार हमारे देश में किसी प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर चिप्स की इस आवश्यकता को सही से समझा है। आज भारत में सेमीकंडक्टर चिप्स के क्षेत्र में ₹1.5 लाख करोड़ से भी ज्यादा का निवेश किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह लगातार कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे हैं, विशेषज्ञों से मिल रहे हैं और खुद फैक्ट्रियों का दौरा कर रहे हैं।
जापान और चीन से मोदी जी ने क्या सीखा?
केवल तीन दिन पहले, 30 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी जापान में एक सेमीकंडक्टर फैक्ट्री गए थे और वहां उन्होंने सेमीकंडक्टर चिप से जुड़ी सारी जानकारियां ली थीं। एक छात्र की तरह वे इस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं और हर जगह से जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं।
क्या होगा अगर किसी देश ने चिप्स की सप्लाई रोक दी?
अब देखिए, अगर किसी देश में सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई बंद कर दी जाए, तो उस देश की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हो जाएगी। रक्षा प्रणाली बेकार हो जाएगी, स्पेस मिशन ठप हो जाएंगे और डिजिटल कामकाज धीमा या बंद हो जाएगा।
कोविड-19 के दौरान सेमीकंडक्टर संकट कैसे दिखा?
वर्ष 2020 में जब कोविड का समय आया, तब दुनिया भर की चिप फैक्ट्रियां बंद हो गई थीं। इसकी वजह से सप्लाई पर बुरा असर पड़ा और भारत सहित कई देशों में कारों की प्रोडक्शन बहुत कम हो गई थी। तब कार बुकिंग के लिए 5–10 महीने तक की लंबी वेटिंग लिस्ट बन गई थी।
क्या सेमीकंडक्टर व्यापार को हथियार बनाया जा सकता है?
आजकल बड़े-बड़े देश व्यापार को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं। अगर कभी किसी देश ने सेमीकंडक्टर चिप्स को भी हथियार बनाकर सप्लाई रोक दी, तो भारत जैसे देशों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।
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